वीडियो जानकारी: 12.06.2017, शब्दयोग सत्संग, अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा
प्रसंग:
घर कीन्हें घर जात है,
घर छाड़ें घर जाय।
तुलसी घर वन बीच हीं,
राम प्रेमपुर छाय।।
~ संत तुलसीदास
~ क्या आत्मज्ञान की प्राप्ति घर पर रह कर भी की जा सकती है?
~ आत्मबोध वन में जा कर ही होता है!
संगीत: मिलिंद दाते
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